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कबीर, न्याय धर्मयुक्त कर्म सब करैं, न कर ना कबहू अन्याय। जो अन्यायी पुरूष हैं, बन्धे यमपुर जाऐं।। भावार्थ:- सदा न्याययुक्त कर्म करने चाहिऐं। कभी भी अन्याय नहीं करना चाहिए। जो अन्याय करते हैं, वे यमराज के लोक में नरक में जाते हैं।
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Earth 🤝 Jupiter By astronycc
Sunrise reflection.
Nagano, Japan.
On the occasion of Guru Purnima ( गुरु पूर्णिमा ) Must Know Why is Guru greater than God?
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कबीर, छठे मास गुरू दर्श करन ते, कबहु ना चुको हंस। गुरू दर्श अरू सत्संग, विचार सो उधरै जात है वंश।। कबीर, छठे मास ना करि सके, वर्ष में करो धाय। वर्ष में दर्श नहिं करे, सो भक्त साकिट ठहराय।। भावार्थ:- गुरू जी के दर्शन छठे महीने अवश्य करें। सत्संग और गुरू दर्शन से पूरा वंश मुक्त हो जाता है। यदि छठे मास दर्शन नहीं कर सकता तो वर्ष में बेसब्रा होकर यानि अति उत्साह के साथ दर्शन करने जाए। यदि एक वर्ष में गुरू दर्शन नहीं करता है तो वह शिष्य भक्तिहीन माना जाता है।